भारत में जनसंख्या वृद्धि ने विकराल रूप धारण कर लिया है| यह रूप कितना विकराल है इसका अनुमान निम्नलिखित आंकड़ों से सहज ही लगाया जा सकता है| भारत में प्रत्येक डेट सेकंड के बाद एक बच्चे का जन्म होता है|
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- भारत में प्रति वर्ष 21 करोड़ बच्चों का जन्म होता है जिनमें से 13 करोड जीवित रहते हैं|
- भारत की जनसंख्या का लगभग 42% भाग 15 वर्ष से कम आयु का है|
- भारत की जनसंख्या प्रतिवर्ष 1,60,00,000 बढ़ रही है|
- भारत की जनसंख्या की वृद्धि प्रति ढाई प्रतिशत है जो विश्व में उत्तम है|
- भारत में प्रति व्यक्ति की आय ₹669 है जो विश्व में न्यूनतम है|
- विश्व का सातवां व्यक्ति भारतीय है|
- विश्व की 2.4 प्रतिशत भूमि भारत में है पर इस भूमि पर विश्व जनसंख्या का लगभग 16% भाग निवास करता है|
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष बढ़ने वाली 1,30,00,000 जनसंख्या के लिए प्रतिवर्ष 1,20,000 विद्यालयों, 3,72,500 शिक्षकों, 25 लाख 9 हजार मकानों, एक करोड़ 87,44,000 मीटर कपड़े, 1,25,45,300 भोजन और 40 लाख नौकरियों की व्यवस्था करना आवश्यक है|
जनसंख्या वृद्धि खेतों की विषय वस्तु को सात विषय क्षेत्रों में निम्नलिखित प्रकार से बांटे गए हैं:-
- जैविक तत्व, परिवार तथा जनसंख्या वृद्धि
- सामाजिक विकास और जनसंख्या वृद्धि
- जनसांख्यिकी तथ्य और जनसंख्या वृद्धि
- संसाधनों का विकास और पर्यावरण संरक्षण
- स्वास्थ्य, पोषण और जनसंख्या वृद्धि
- आर्थिक विकास और जनसंख्या वृद्धि
- शैक्षिक
जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित उद्देश्य
- भावी जीवन की तैयारी के लिए जीवन का पूर्ण मूल दर्शन जागृत करना
- जनसंख्या वृद्धि के प्रति लोगों की चेतना विकसित करना
- जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभावों के प्रति चेतना विकसित करना
- जनसंख्या वृद्धि के प्रति जनांकिकी अवधारणा विकसित करना
- जनसंख्या और विकास के पक्षों को उजागर करना
- जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु जनसंख्या वृद्धि के पक्ष समझाना
- सीमित परिवार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना
- समग्र व्यक्तित्व के विकास में जनसंख्या वृद्धि की भूमिका उजागर करना
- परिवार नियोजन व इसकी विधियों के महत्व को ज्ञापित करना
- समाज व देश की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या नियोजन व नियंत्रण हेतु जागृत करना|
जनसंख्या वृद्धि के कारण
भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:-
- उष्ण जलवायु: भारत की जलवायु गर्म होने के कारण लड़के और लड़कियां शीघ्र ही परिपक्वता की स्थिति में आ जाते हैं जिसके कारण वे शीघ्र ही संतान उत्पन्न करने योग्य हो जाते हैं|
- बच्चों के जन्म में अंतर का अभाव: माता पिता बच्चों के जन्म में अंतर नहीं रखते हैं| भारत में ऐसे अनेक परिवार देखने को मिलते हैं जिनमें भाई बहनों की उम्र में 1 वर्ष से भी कम अंतर है|
- संयुक्त परिवार प्रथा: संयुक्त परिवार में छोटे बच्चों के पालन पोषण का भार नवविवाहित ओं पर नहीं होता है बल्कि उनके दादा-दादी व अन्य बुजुर्गों पर होता है जिसके कारण नवविवाहित अतिरिक्त बच्चों का भार महसूस नहीं करते|
- भाग्यवादी दृष्टिकोण: भारतीय जनसंख्या शिक्षित व अज्ञानी है और वह बच्चों को भगवान की देन मानते हैं, इसलिए निरंतर बच्चे पैदा करते रहते हैं| उनका इस संबंध में यह मानना है कि बच्चों का परिवार पर कोई बोझ नहीं पड़ता है| क्योंकि प्रत्येक बच्चा अपने साथ अपना भाग्य और दो हाथ काम करने के लिए लाता है|
- बाल विवाह: भारत में बाल विवाह की प्रथा प्रचलित है| कम आयु में विवाह होने से बच्चे जल्दी ही पैदा हो जाते हैं|
- निर्धनता: भारत में करोड़ों व्यक्तियों का जीवन स्तर बहुत दिन है| देश की अधिकांश जनसंख्या कृषि कार्य में लगी हुई है, कृषि में यंत्रों का प्रयोग नहीं करने से श्रम की अधिक आवश्यकता पड़ती है| भारत में इस कारण से गांव के लोग अधिक संतान संतान उत्पन्न करते हैं|
- धार्मिक भावना :प्राय प्रत्येक भारतीय की यह भावना होती है कि प्रत्येक हिंदू को विवाह और संतान मुक्ति करनी चाहिए, जिससे पुत्र उसकी अंतिम क्रिया कर सके और उसकी आत्मा पृथ्वी के सुनने भागों में अशांत होकर ना भटके| इसके अतिरिक्त हमारा समाज निसंतान स्त्रियों को अच्छी दृष्टि से नहीं देखता है|
- सामाजिक सुरक्षा का अभाव:माता पिता बुढ़ापे मैं एक संकट काल में सहारा प्राप्त करने के लिए अधिक बच्चे पैदा करते हैं उनका यह सोचना होता है कि एक बच्चा साथ नहीं देगा तो दूसरा या तीसरा बच्चा साथ देगा|
- अत्यधिक शिशु मृत्यु: भारत में शिशु अवस्था में बच्चों की मृत्यु बहुत अधिक होती है, विशेषकर बच्चों के पैदा होने के समय| ऐसी स्थिति में माता-पिता अपने भविष्य के लिए अधिक बच्चे पैदा करते हैं|
- स्त्रियों की आर्थिक पराधीनता: भारत में जनसंख्या वृद्धि के लिए स्त्रियों की पुरुषों पर आर्थिक पराधीनता भी उत्तरदाई है| स्त्रियों के लिए यह समझना समझा जाता है कि इसका प्रमुख कार्य खाना बनाना बच्चे पैदा करना है| अतः जनसंख्या निरंतर बढ़ती जा रही है|
- बड़ा परिवार आदर का पात्र मानना: भारत में बड़े परिवार को न केवल सुख समृद्धि का घोतक माना जाता है बल्कि उसे आदर की दृष्टि से देखा जाता है| यहां संपन्नता पुरुषों की संख्या में आंकी जाती है|
- निरोधक उपायों का कम प्रयोग: संतान निरोध के विषय में उपयुक्त साधन एवं सुविधाएं भारत में कम लोकप्रिय हैं, जिससे संताने अधिक हो जाती हैं |
- बहुपति प्रथा: भारत में एक से अधिक पत्नियां रखने की भी प्रथा है| मुसलमानों के तो कानून में यह एक से अधिक पत्नियां रख सकता है ऐसी स्थिति में जनसंख्या का बढ़ना भी स्वभाविक है|
- आर्थिक स्तर का ऊंचा होना:भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के काल में अच्छा आर्थिक विकास संभव हुआ है, जिस फल फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय तथा उसके जीवन सर में भी अच्छी प्रति संभव हुई है, जिस संख्या बढ़ी|
- औसत आयु में वृद्धि: एक भारतीय की औसत आयु 1951 ईस्वी में 40 वर्ष जो आज बढ़कर 61 वर्ष हो गई है जिससे जनसंख्या बढ़ती है|
- महमारियो एवं अकाल मृत्यु पर रोक:वर्तमान में राष्ट्रीय में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं का इतना अधिक विस्तार हो गया है कि महामारी ओं के कारण होने वाली मृत्यु पर काबू पा लिया गया है|
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि: गत वर्षो में भारत में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं मैं भी अच्छी वृद्धि हुई है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ा और मृत्यु दर घटी है|
- शरणार्थियों का आगमन: दो राष्ट्रों के मध्य युद्ध मैं शरणार्थी एवं राष्ट्रीय से दूसरे राष्ट्र में जाने की प्रवृत्ति रखते हैं| जिसके फल स्वरुप जनसंख्या में वृद्धि होती है|
- जनसंख्या संबंधित सही समको का अभाव: अनेक बार सरकारी अधिकारी अनुमान के आधार पर जनसंख्या के आंकड़े बता देते हैं, जिससे ऐसी स्थिति में जब हमें देश की जनसंख्या का पूर्ण आभास ना हो तो हम निरंतर कैसे लगा सकते हैं|
- प्रवासी भारतीयों का आगमन: भारतीय मूल के अनेक प्रवासियों के अनेक देशों के कट्टरपंथी वहां से बाहर निकाल रहे हैं| वह समस्त प्रवासी भारत वापस आ रहे हैं, जिससे की जनसंख्या में अधिक वृद्धि हुई है|
जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएं
तेजी से बढ़ती जनसंख्या देश के सामने एक चुनौती बनकर उभरी है| इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए भोजन, वस्त्र, आवाज, दवा, शिक्षा, रोजगार एवं स्वास्थ्य सेवाएं का कहां से उपलब्ध करवाई जाए? अनाज उत्पादन की एक सीमा है| जिंदा रहने के लिए पीने योग्य स्वच्छ जल की उपलब्धता भी एक समस्या है| आज राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में पीने के योग्य स्वच्छ पानी की समस्याएं पैदा हो रही है, वह किसी से छिपी नहीं हुई है| पानी की उपलब्धता बढ़ने की संभावना भी ज्यादा नहीं है| भूमिगत पानी का स्तर लगातार गिरता जा रहा है| सबसे बुरी हालात रोजगार की है|
जनता ने रोजगार की समस्या को काफी भीषण बना दिया है किंतु नई सूचना क्रांति आने के बाद इस क्षेत्र में भी रोजगार की जो संभावनाएं दिखाई दे रही हैं वह उन्हीं युवाओं के लिए होगी जो तकनीकी रूप से प्रशिक्षित रहोगे| जिस देश में साक्षरता सबको नसीब नहीं है वहां तकनीकी शिक्षा कितने लोगों को नसीब हो सकेगी| लघु उद्योग लगातार बंद होते जा रहे हैं और बड़े उद्योग में आधुनिक तकनीकी आने के बाद से छंटनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है| परिणाम स्वरूप एक नए रोजगार सृजन की संभावनाएं और भी कम होती जा रही हैं और बेकारी की समस्या बढ़ती जा रही है|
जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ मकानों की जरूरतें भी बढ़ती जा रही हैं और धड़ल्ले से कृषि योग्य भूमि पर आवास बनाए जा रहे हैं, जब जनसंख्या और बढ़ेगी तो मकानों की जरूरत भी उसी अनुपात में बढ़ेगी और कृषि योग्य भूमि की मात्रा और कम होती चली जाएगी| एक समस्या भारत में संयुक्त परिवारों का बिखराव है| पहले कई किंतु आज परिवारों के रहन-सहन में ऐसा परिवर्तन आ रहा है कि हर एकल परिवार अलग रहना चाहता है| परिणाम स्वरुप कृषि योग्य भूमि पर मकान बनते जा रहे हैं| जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएं निम्नलिखित हैं:-
- पर्यावरण असंतुलन की समस्याएं
- खाद्यान्न की कमी
- बेरोजगारी
- आवाज, शिक्षा और जनाधिक्य
- पूंजी निर्माण और जन आदित्य
- अनुत्पादक उपभोक्ता और जनाधिक्य
- जनाधिक्य और राजनीति की अशांति
- जनसंख्या वृद्धि और सामाजिक बुराइयां
- राष्ट्रीय आय
अतः राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक की यह भावना हो की जनसंख्या वृद्धि की समस्या हमारी स्वयं की, हमारे राष्ट्र की समस्या है| इसका निराकरण करना हमारी नैतिक धर्म है| हमारा कर्तव्य है| इस राष्ट्रीय आंदोलन को सफल बनाने में सरकार, जनता, कर्मचारी, व्यापारी तथा छात्र सभी का सक्रिय होना आवश्यक है|