PGIMER Chandigarh Corona Vaccine (M.W) पीजीआई चंडीगढ़ कोरोना वायरस वैक्सीन कि सेफ्टी ट्रायल में मिली सफलता

चंडीगढ़: कोरोना वायरस की दवा के लिए शुरू किए एक ट्रायल में पीजीआई को सफलता मिल गई है| कुष्ठ रोग के इलाज में दी जाने वाली दवा एम.डब्ल्यू पीजीआई ने चार ऐसे पेशेंट पर असर देखा है, जिन्हें ट्रीटमेंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत थी| चारों पेशेंट को M.W Vaccine वैक्सीन की 0.3 ML दवा का Injection लगातार तीन दिन तक किया गया और पाया कि Patients पर Vaccine का इस्तेमाल बिल्कुल सुरक्षित है|

पीजीआई अस्पताल के डॉक्टरों की माने तो इस दवा का इस्तेमाल पहले leprosy (कुष्ठ रोग), तपेदिक (Tuberculosis) और निमोनिया पेशेंट पर भी किया गया था और उसमें भी दवा इस्तेमाल को सुरक्षित पाया गया था| अब कोरोना पेशेंट पर भी दवा सुरक्षित पाई गई है| पीजीआई चंडीगढ़ के अलावा को रोना इस दवा का ट्रायल AIIMS Delhi and AIIMS Bhopal में भी किया जा रहा है|

कोरोनावायरस वैक्सीन कि सेफ्टी ट्रायल में पीजीआई चंडीगढ़ को मिली सफलता

3 दिन तक.0.3 ML M.W Vaccine दवा इंजेक्शन दिए, चार कोरोना पेशेंट हुए स्वस्थ | अब ज्यादा पेशेंट पर चेक किया जाएगा दवा का असर

वायरस हमला करता है तो सक्रिय हो जाते हैं शरीर के डिफेंस सेल्स

पीजीआई के डायरेक्टर प्रोफेसर जगतराम का कहना है कि दवा के ट्रायल के लिए डॉक्टरों की Team ट्रायल भी शुरू किए जाएंगे|

ज्यादा पेशेंस पर ट्रायल किए जाएंगे

पीजीआई पल्मोनरी विभाग के अध्ययन करता प्रोफेसर रितेश अग्रवाल का कहना है कि चार ऐसी पेशेंट को सेफ्टी के लिए चुना गया था| जिन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था| वायरस जब पेशेंट्स पर आक्रमण करता है तो उनके शरीर के डिफरेंट सेल्स सक्रिय हो जाते हैं और वायरस के लड़ने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं| ऐसे में कुछ पेशेंट्स के शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है| डिफेंस सेल्स का बुरा प्रभाव भी शरीर पर आने लगता है| ऐसी स्थिति को नियंत्रण करने के लिए पेशेंट को एम्मुइनु मोदुलाटर दवा दी जाती है| जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को कंट्रोल कर सके|

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पेशेंट के शरीर की रक्षा करें इसलिए पेशेंट को एम.डब्ल्यू वैक्सीन इंजेक्शन लगाए गए| इंजेक्शन के बाद चारों पेशेंट ठीक हो गए और दवा के क्षेत्र में सफलता मिल गई|

अब जल्दी ज्यादा पर्सेंट पर दवा के ट्रायल शुरू किया जाएंगे| आगे के ट्रायल में देखा जाएगा कि दवा के बाद पेशेंट को इलाज के दौरान कितनी ऑक्सीजन, कितने दिन के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है| एक पेशेंट को दवा दी जाएगी जबकि दूसरे पेशेंट को दवा के बगैर दूसरे तरीके से इलाज का असर देखा जाएगा|

पल्मोनरी विभाग के एचडी प्रोफ़ेसर दिगंबर वेरा का कहना है कि यह 30 साल पहले भी कई पेशेंट में किया जा चुके हैं| उसके बाद ज्यादा पेशेंट्स में दवा के असर का देखना भी जरूरी है| एक पेशेंट ठीक होने में कितने दिन लगते हैं? पेशेंट्स में कितनी दवा की डोज देना ठीक है? यह ट्रायल पूरे होने के बाद ही पता चलता है| ट्रायल के नतीजे की उम्मीद है दवा अच्छे परिणाम सामने| दूसरे संस्थान स्किन ट्रीटमेंट नतीजे को भी साथ में देखा जाएगा

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